सर्दियों में दुधारू पशुओं की करें देखभाल
AnujM360-3 | Sep 16, 2016, 16:01 IST
सर्दियों में दुधारू पशुओं की करें देखभाल
सर्दियों के मौसम में पशुओं पर कुप्रभाव न पड़े और उत्पादन न गिरे इसके लिए पशुपालकों को अपने पशुओं की देखभाल करना बहुत जरूरी है।
इस पर लखनऊ स्थित पशुपालन विभाग के उपनिदेशक वीके सिंह बताते हैं, ''ठंड के मौसम में पशुओं की वैसे ही देखभाल करें जैसे हम लोग अपनी करते हैं। उनके खाने-पीने से लेकर उनके रहने के लिए अच्छा प्रबंध करे ताकि वो बीमार न पड़े और उनके दूध उत्पादन पर प्रभाव न पड़े।" उन्होंने आगे बताया कि खासकर नवजात तथा छह माह तक के बच्चों का विशेष देखभाल करें, और जो लोग पशुपालन कर रहे है वो इन बातों को जरूर ध्यान में रखे
ठंड से प्रभावित पशु के शरीर में कपकपी, बुखार के लक्षण होते हैं, तत्काल निकटवर्ती पशु चिकित्सक को दिखाएं और किसी भी प्रकार की तकनीकी जानकारी के लिए समस्या निवारण केंद्र पशुपालन विभाग के टोल फ्री न.188-180-1541 पर सम्पर्क कर सकते है।
मुख्य बातें
संकलन : दिति बाजपेई
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- पशुओं को खुली जगह में न रखें, ढके स्थानों में रखे।
- रोशनदान, दरवाजों व खिड़कियों को टाट/बोरे से ढंक दें।
- पशुबाड़े में गोबर और मूत्र निकास की उचित व्यवस्था करे ताकि जलभराव न हो पाए।
- पशुबाड़े को नमी/सीलन से बचाएं और ऐसी व्यवस्था करें कि सूर्य की रोशनी पशुबाड़े में देर तक रहे।
- बासी पानी पशुओं को न पिलाए।
- बिछावन में पुआल का प्रयोग करें।
- पशुओं को जूट के बोरे को ऐसे पहनाएं जिससे वे खिसके नहीं।
- गर्मी के लिए पशुओं के पास अलाव जला के रखें।
- नवजात पशु को खीस जरूर पिलाएं, इससे बीमारी से लडऩे की क्षमता में वृद्धि होती है।
- प्रसव के बाद मां को ठंडा पानी न पिलाकर गुनगुना पानी पिलाएं।
- गर्भित पशु का विशेष ध्यान रखें व प्रसव में जच्चा-बच्चा को ढके हुए स्थान में बिछावन पर रखकर ठंड से बचाव करें।
ठंड से प्रभावित पशु के शरीर में कपकपी, बुखार के लक्षण होते हैं, तत्काल निकटवर्ती पशु चिकित्सक को दिखाएं और किसी भी प्रकार की तकनीकी जानकारी के लिए समस्या निवारण केंद्र पशुपालन विभाग के टोल फ्री न.188-180-1541 पर सम्पर्क कर सकते है।
मुख्य बातें
- बिछावन समय-समय पर बदलते रहे।
- अलाव जलाएं पर पशु की पहुंच से दूर रखें। इसके लिए पशु के गले की रस्सी छोटी बांधे ताकि पशु अलाव तक न पहुंच सके।
संकलन : दिति बाजपेई